स्वतंत्रता के 74 साल!

     स्वतंत्रता के 74 साल फिर भी कुछ चीजों में बदलाव की आवश्यकता है. चाहे युवाओं की रोजगार की बात हो, महिलाओं की सुरक्षा की बात हो, किसानों के फसल की कीमत की बात हो.

आज देश स्वतंत्रता के ७४ साल मना रहा है, लेकिन क्या सच में देश पुरी तरह से आझाद हुआ है? 

दिन भर दिन देश की आबादी बढ़ रही है, हर साल करोड़ों युवा डिग्री लेकर निकल रहे हैं,लेकिन क्या उन सबको रोजगार मिलता है? लेकिन क्या सरकार उन्हें दुसरा कोई विकल्प चुनने के लिए मदद कर रही है, अगर बना भी रही है तो क्या वो सचमुच उन लोगो तक पहुँच पाती है? 

दुसरी किसानों की बात करे तो, जो किसान सत्तर साल से अपनी मेहनत करके पूरे देश की भूक मिटाता है, लेकिन वो आज भी गरीब ही गरीब रह गया. क्यों उनके बच्चे अच्छी शिक्षा नहीं ले पा रहे है? क्यों किसान नहीं चाहता की उसका बेटा खेती करें. क्योंकि उन्हें पता है यहाँ सिर्फ काम करके पेट ही भर सकते हैं अच्छी जिंदगी नहीं जी सकते. हर साल लाखों किसान आत्महत्या करते हैं क्योंकि वो लिया हुआ कर्जा भी चुका नहीं पाते. ऐसा नहीं की वो आत्मनिर्भर नहीं बनना चाहता, लेकिन उनके फसल की बाजार में कोई कीमत नहीं करता साहब! अगर सरकार कोई योजना लाती भी है, लेकिन वो उन तक पहुँच भी नहीं पातीं, अगर पहुँच भी पातीं है तो उसके लिए भी उसको रिश्वत देनी पड़ती है.

महिलाओं के विषय में बात की जाए तो हर दिन कोई ना कोई घटना हम अखबार या टीव्ही में देखते हैं. क्या वो आत्मनिर्भर बनके बाहर घुम नहीं सकती? क्यों अभी तक पीडीत महिलाओं को न्याय नहीं मिला, क्या हमारा कानून इतना भी गिरा हुआ है जो पीड़ित को न्याय न दे सखा. अगर अपराधी को शिक्षा देने के लिए कोई कानून बदल भी देंगे तो लोग उसपे भी राजनीति करेंगे. ऐसी बहुत सारी समस्या से भारत आज भी लढ रहा.

भारत अंग्रेजों से तो आझाद हुआ लेकिन भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी, राजनीति ऐसी बहुत सारी चीजों से आज भी लढ रहा है. आत्मनिर्भर बोलने से कुछ नहीं होगा, आत्मनिर्भर बनने के लिए हर एक को अपना अपना काम ईमानदारी से करना होगा तभी भारत आत्मनिर्भर बन सकता है!

जय हिंद! 


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